सोमवार, 11 अगस्त 2008

हंसोड़ भाई

एक हैं भाई हंसोड़,
खींसे निपोरे,
मुख में पान दबाए,
कंधे में थैला टांगते हैं;
खासियत है इनकी-
ये कार्यालयों में काम करवाने के,
सारे तरीके जानते हैं।
सरकारी काम करवाने के,
हंसोड़ भाई ठीके लेते हैं;
जूते घिसने से बचाना हो,
जरुर मिलिए इनसे,
काम सस्ते में ही करा देते हैं।
कार्यालयों में-
इनकी जान-पहचान का,
लोहा सभी मानते हैं;
चपरासियों से लेकर-
कर्मचारियों तक और,
बाबुओं से लेकर हुक्मरानों तक,
हंसोड़ भाई को सब जानते हैं।
कार्यालयों में आजकल,
आसानी से-
कोई काम नहीं होता;
सुविधा शुल्क देने पर भी,
पहुँच-पहचान के बिना,
काम कराना आसान नहीं होता।
ऐसे में हमारे हंसोड़ भाई,
बहुत काम आते हैं;
सारे सरकारी काम,
चाट-पट ही-
थोक के भाव करवा लाते हैं।
उनका थैला-
चलता-फिरता कार्यालय है सरकारी;
फार्मों एवं कागजों के,
पुलिंदे उसमे अस्त-व्यस्त होते हैं,
हमें कुछ समझ ना आए,
उन्हें होती है हर पन्ने की जानकारी।
कोई प्रमाण-पत्र बनवाना हो,
अगर आप सीधे जायेंगे-
सरकारी कर्मचारी आपको,
कई बार दौडायेंगे;
हंसोड़ भाई से मिलिए,
फॉर्म पर दस्तखत लेंगे,
रेट बताएँगे,
और एक घंटे में प्रमाण-पत्र,
आपको सौंप जायेंगे।
क्या? कठिन सरकारी काम!
ये उनके शब्दकोष में नहीं कहीं,
बस काम के अनुसार रेट है,
फ़िर सब आसान है;
निविदा की राशि जानना,
मनचाहा या अनचाहा स्थानान्तरण-
करवाना या रुकवाना ,
उनके बाएँ हाथ का काम है।
सोचिये! जोर डालकर-
अगर हंसोड़ भाई जैसे,
भले लोग नहीं होते;
रिश्वत देने के बाद भी,
आपने सरकारी काम की,
अति मंद गति देखकर,
जाने कितने आंसू रोते।

4 टिप्‍पणियां:

नदीम अख़्तर ने कहा…

मैं शब्दों में तारीफ नहीं कर सकता इस कटाक्ष की. असल में दुर्भाग्य ये है कि हम लोग ऐसे राज्य में रह रहे हैं, जहाँ न तो इस कविता का असर हो सकता है और न ही इस तरह कि कविताओं का मर्म समझने वाले लोग ही मिल सकते हैं, जो ऐसी रचनाओं को हाथो-हाथ लें. ये भी सत्य है कि साहित्य जगत में भी आम सरकारी दफ्तरों से दुगनी चाटुकारिता और दोग्लेबाजी है. बड़े नाम और ऊंची पहुँच वालों कि कविताएँ NCERT की किताबों में दिखेंगी और भाई प्रमोद जी टाइप के कवियों, व्यंग्यकारों और रचनाशील लोगों के हिस्से में एक ढेला भी नहीं आता.
जय झारखण्ड, जय भारत

Ramashankar ने कहा…

हकीकत की शानदार प्रस्तुति

संजय पटेल ने कहा…

हास्य व्यंग्य को लेकर मंच पर जिस तरह की नौटंकी हो रही है उस समय में आपकी कविता में गरिमा,शिल्प,कहन और चुभन सभी कुछ तो मौजूद है प्रमोद भाई....
लिखत जाइये...कोई कमेंट करे या न करे...दस्तावेज़ीकरण बहुत ज़रूरी है.

Unknown ने कहा…

एक ईमानदार सरकार,
देती भारत रत्न हंसोड़ भाई को.