बुधवार, 9 जुलाई 2008

चोरों का सम्मलेन

एक रात किसी नामचीन होटल में,
चोरों का सम्मलेन हो रहा था,
उस समय शहर का कोतवाल थाने में,
चादर ताने सो रहा था।
एक गूढ़ प्रश्न पर विचार हो रहा था-
"चोरी करते हुए अब हम क्यों पकड़े जाते हैं?"
जबकि सरकारी चोर ऊँचे पदों पर बैठे,
निर्विध्न करोडो डकार जाते हैं।
एक चोर ने अपनी समस्या बताई-
जब से आया है डिश एंटीना शहरों में,
चोरी काम हुआ है जान जोखिम का,
लोग जागते हैं रातों में और सोते है दोपहरों में।
एक चोर जो वृद्ध हो चुका था,
चोरी का काम अपने पुत्र को विरासत में दे चुका था,
बोला- परसों रात की बात है,
मेरा बेटा सेंध मार रहा था,
हथौडे से मारकर दीवार तोड़ रहा था,
दीवार तो नही टूटी अलबत्ता हथौडा ही टूट गया,
मालिक के जागने पर भागने के फेर में,
मेरे दादा का चोरी स्पेशल टॉर्च वहीँ छुट गया।
ना जाने लोग घरों को कौन से ठीकेदार से बनवाते हैं,
सरकारी दीवार तो पल-भर में टूट जाते हैं।
एक चोर जो सदा गाडियां चुराता है,
खड़ा होकर अपनी समस्या बताता है-
एक दिन एक खड़ी गाड़ी पर मेरी नजर पड़ी,
मैंने बड़ी कठिनाई से उसका दरवाजा खोला,
स्टार्ट कर ज्यों ही लेकर आगे बढ़ा,
मुझसे हफ्ता खाने वाले पुलिसिए ने रोका और बोला-
अरे अहमक, ये तू 'भाई' की गाड़ी चुरा रहा है,
क्यूँ बेकार में अपनी जान गवां रहा है?
अब क्या करें? 'वीआईपी' तो अपनी गाड़ियों में,
खामख्वाह भी लाल बत्तियां लगाते हैं,
पर ये 'भाई' लोग तो अपनी गाडियाँ,
बिना किसी पहचान के यूँ ही छोड़ जाते हैं।
समस्याओं को सुनकर चोरों के अध्यक्ष ने,
अध्यक्षीय भाषण में कहा-
तुम्हारी समस्याओं का समाधान मैं बताता हूँ,
पारंपरिक चोरियां छोडो और मुझे देखो-
मैं कॉपीराइट चुराता हूँ,
तुम्हारे पास स्कूटर भी नहीं,
और मैं मर्सिडीज चलता हूँ।

1 टिप्पणी:

Unknown ने कहा…

छोटो-मोटी चोरी छोड़ो नेता बन जाओ,
एक वोट डालोगे तीन करोड़ मिलेंगे,
मान्यवर कहलाओगे अलग से,
अगर सबको पता भी चल गया तो क्या होगा?
लोक सभा में रिश्वत लेना अपराध नहीं है,
आज पुलिस डंडे मारती है,
कल सलाम करेगी नेता जी को,
आज टू व्हीलर चुराते हो,
कल आगे पीछे होंगी फोर व्हीलर,
भइया मौका है हाथ से मत जाने दो,
जल्दी चुनाव होंगे,
करो एक दो मर्डर,
ले लो एंट्री पोलिटिक्स में.