मंगलवार, 1 जुलाई 2008

विकास हो रहा है

उठो,
अब मत हो सशंक,
जगाने को तुम्हारा भाग्य अंक,
लिबरेलाइजेशन, प्राइवेटाइजेशन, गलोब्लाइजेशन,
हो रहा है।
सूखा पड़ गया है,
या कि है बाढ़ की विभीषिका,
आफत है दो जून की रोटी पर,
छोड़ दो चिंता,
बस अब खुशिया मनाओ,
बढ़ता विकास दर है संकेत करता,
तुम्हारा विकास हो रहा है।
जागने की तुम्हें अब जरुरत नहीं,
सोते रहो आराम से,
मुफ्त बिजली -
नींद भी अच्छी लाएगी,
सुंदर-सुंदर तुम सपने देखो,
तुम्हारा देश-
विकसित देशों में शामिल हो रहा है।
छत नहीं! तो क्या?
प्रकृति का आंगन तो है,
जगह की कमी नहीं होगी अब,
वनों को साफ कर,
लो हमने जगह बना दी है।
पशु की तरह जी रहे हो,
फ़िर भी मानव तो हो,
संवेदनशील, बुद्धिमान,
इसलिए महसूस करो,
तुम्हारा विकास हो रहा है।

1 टिप्पणी:

Unknown ने कहा…

सरकार जीत गई है विश्वास मत,
एटमी करार लाएगा विजली,
हर घर में, हर गाँव, हर शहर में,
शीला दीक्षित भी खुश,
बिना विजली के परेशान दिल्ली के निवासी भी खुश,
राहुल गाँधी भी खुश,
कलावती भी खुश,
मनमोहन खुश कुर्सी बच गई,
अमर सिंह खुश मुक़दमे वापस,
सोरेन खुश कुर्सी मिल गई,
कितने सारे खुश बन गए करोड़पति,
देश प्रगति के रास्ते पर अग्रसर है,
सब खुश हैं, तुम क्यों नाखुश हो,
सब आगे जा रहे हैं, तुम घिसट रहे हो,
बेबकूफ कहीं के.